Sangeeta

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लेखनी प्रतियोगिता -02-Feb-2022 यादों की खुशबू

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कुछ पुरानी किताब के, पन्ने पलट रही थी,
भूली बिसरी यादों के,साए में अटक रही थी,

  एक खुशबू के झोंके ने,ली कुछ ऐसी पुरवाई,
   सिमट के हाथ में मेरे,वो गुलाब की कली आई,

   थी जानी पहचानी सी ,फूलों की महक,
   खिल उठा चेहरा मेरा, थोड़ी सी गई चहक,

एक अल्हड़ उम्र थी अपनी ,थोड़ी सी नादानी थी,
दुनियादारी की बातों से ,थोड़ी सी अनजानी थी,

     सूखे पत्ते सूखा फूल,लेकिन यादें ताजा थी,
     उस किताब के पन्नों पर, महकती यादें साझा थीं,।       
संगीता वर्मा ✍️✍️

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5 Comments

Sudhanshu pabdey

03-Feb-2022 09:34 PM

Very beautiful

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Swati chourasia

03-Feb-2022 11:03 AM

Very beautiful

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Punam verma

02-Feb-2022 11:34 PM

Nice

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